Tuesday, February 15, 2011

अब याद नहीं रखता


260—02-11

अब
याद नहीं रखता

शब्द,
जो मैंने बोले
लोगों के कानों में चुभे

बातें,
जिन्हें याद कर क्रोध आता

हरकतें,
जिनका ध्यान आने पर
चेहरा शर्म से लाल होता

उपहास,
जिसने दिल बहुतों का दुखाया

व्यवहार,
जिसने अपनों को पराया बनाया

निरंतर मैंने भी ये सब भुगता
मन को कभी अच्छा नहीं लगा

कैसे किसी और को अच्छा लगता
मुझे नहीं भाया,किसी को कैसे भाता

इस सवाल ने सदा मुझे कचोटा
अब तो सुधार कर लूं

अपने किये की माफी मांग लूं
मन को शांती प्रदान कर दूं

जो दूर हुए मुझ से
उन्हें अपना बना लूं
15-02-2011
 
 

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