Sunday, February 20, 2011

बार बार मिलती हो तुम,हर बार बिछड्ती हो तुम

288—02-11


बार बार मिलती हो तुम
हर बार बिछड्ती हो तुम

दिल में सुकून होता
जब होती हो साथ तुम

दिल बेचैन होता
जब जाती हो तुम

दर्द दिल में छोडती हो तुम
हर बार क्यूं सज़ा देती हो तुम

हसरत अधूरी रखती हो तुम
निरंतर क्यूं ऐसा करती हो तुम

जिला जिला कर मारती हो तुम 
क्यूं इम्तहान लेती हो तुम
20-02-2011

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