Thursday, February 17, 2011

दर्द मेरा कोई ना जानता,जुबान से एक लब्ज़ ना निकलता

266—02-11


दर्द मेरा
कोई ना जानता
जुबान से एक लब्ज़ ना
निकलता
बात मन की किसे
बताऊँ
हाल-ऐ-दिल किसे
सुनाऊँ
हर शख्श गमजदा
दिखता
कुछ कहूं उस से पहले
खुद की कहता
मुझ से
ज्यादा परेशान लगता
निरंतर
दुआ खुदा से करता 
मुझ से पहले राहत
उन्हें दे 
मुझे आदत है सहने की
खामोशी से सह
लूंगा
गम खुद ही पी
लूंगा
रोते रोते भी हंस
लूंगा
17-02-2011

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