Wednesday, February 23, 2011

उनको देख क्या कहिए

311—02-11



उनको देख क्या कहिए

कारीगरी खुदा की कहिए
या ज़न्नत से उतरी परी कहिए
उनकी अदा को क्या कहिए

समंदर की मचलती लहरें कहिए
या हवा का पुरजोर झोंका कहिए

उनकी चाल को क्या कहिए

किसी दरख़्त की झूमती डाली कहिए
या किसी हिरनी से कदम ताल कहिए

उनकी आवाज़ को क्या कहिए

किसी साज़ का सुर कहिए
या किसी गीत की धुन  कहिए

आँखों को उनकी क्या कहिए

समंदर की गहराई कहिए
या बोतल शराब की कहिए 

लबों को उनके  क्या कहिए

गुलाब के फूल की पंखुड़ी कहिए
या किसी सीपी का खुला मुंह कहिए

निरंतर चाहने वालों को क्या चाहिए
फूल पर बैठे भँवरे सी किस्मत चाहिए
23-02-2011 
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

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