Monday, February 21, 2011

उठ गयी यारों की महफ़िल


298—02-2011

उठ गयी
यारों की  महफ़िल
दुनिया बड़ी संग दिल
यकीन किस पर करूँ
हर शख्श निकला तंगदिल
अब सहारा आँधियों का
तूफ़ान आशियाना है
सैलाब
ख्यालों में निरंतर आते
कोशिश
तबाह करने की करते
मैं ही ढीठ
फिर भी मुस्कराता
हर सैलाब से लड़ता
ख्वाब फिर भी देखता
अकेले महफ़िल सजाता
इंतज़ार
किसी के आने का
करता
21-02-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"  

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