Wednesday, February 16, 2011

छः ऋतुएं निरंतर छटा पृथ्वी पर बिखेरती

छः ऋतुएं
निरंतर छटा पृथ्वी पर
बिखेरती
हर दो मास बाद
ऋतु बदलती
प्रत्येक ऋतु
दो मास की होती
चैत,बैसाख़ में
ऋतुराज बसंत आता
फूलों से श्रृंगार
धरती का करता   
सरस्वती,कामदेव,
विष्णु को पूजा जाता
नव वर्ष हर्षोल्लास
लाता
होली पर रंगों से
खेला जाता
ज्येष्ठ,आषाड़
ग्रीष्म के मास
सूर्य रौद्र अपना
दिखाता
तपन से धरती
गरमाता
क्ष्रावण,भाद्रपद वर्षा
लाते
मेघ धरती की प्यास
बुझाते
तीज,रक्षाबंधन के
त्योंहार मनाये
जाते
अश्विन,कातिर्क मास
शरद के
दशहरा ,दीपावली
शरद में आते
घर  घर  दीप जलाए जाते
मार्गशीर्ष,पौष हेमन्त
के मास
शीत से सब कांपते
उत्तर में पहाड़ बर्फ से
ढकते
माघ,फाल्गुन शिशिर
के मास
मकर संक्राति से
आरम्भ होते
साथ अपने पतझड़
लाते
धरती को पत्तों से
ढकते
15-02-2011

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