Thursday, February 10, 2011

उन लम्हों की खातिर तो बोलो,मिलो तो मुस्करा कर मिलो


242—01-11

यूँ न मिलो
मुझ से ख़फ़ा हो
जैसे
बात दिल की बताओ
मुझे
लोग क्या कहेंगे ये
ना सोचो
जो कह रहा मन वो
कह दो
ना सियो लबों को,
उन्हें खोलो
चाहे तो ख़्वाबों में
आवाज़ दो
सुन कर भी चुप
रहूँगा
दिल तुम्हारा ना
दुखाऊंगा
निरंतर ख्याल रखा
तुम्हारा
हर लम्हा साथ तुम्हारे
गुजारा
उन लम्हों की खातिर
तो बोलो
मिलो तो मुस्करा
कर मिलो
10-02-2011

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