Tuesday, February 15, 2011

बात दिल ने सुन ली हो,तो इशारे से बता देना

259—02-11


तुम आए मिले मुझ से
गुफ्तगू आपस में हुयी

कुछ मेरी सुनी
कुछ अपनी कही

जाने के बाद खबर नहीं
बेचैनी बढ़ती जा रही

तड़प कुछ सुनने  की हो रही
मजबूरी हो तो जवाब ना देना

बात दिल ने सुन ली हो
तो इशारे से बता देना

निरंतर सीने में जल रही
आग को बुझा देना
15-02-2011 

No comments: