Monday, February 28, 2011

सांस के साथ ख्वाब भी रुक जाते, रजा ऊपर वाले की निभाते हैं



327—02-11

ज़िन्दगी में 
मुकाम बहुत आते
कभी खुशी,कभी गम लाते 
कुछ याद रहते,कुछ भूल जाते
कभी मुस्कराते,कभी रोते  
दस्तूर-ऐ-ज़िन्दगी निभाते
किसी तरह हालात से लड़ते
वक़्त अपना काटते
रोज़ खुदा को याद करते
निरंतर उम्मीद में जीते
उम्मीद में मर जाते
सांस के साथ
ख्वाब भी रुक जाते
रजा ऊपर वाले की
निभाते हैं
28-02-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर


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