Saturday, February 19, 2011

वो मजबूर था,काम दूजा ना था,मुर्दों के सहारे जीता


279—02-11

वो मजबूर था
काम दूजा ना था
मुर्दों के सहारे जीता 
मौत की खबर सुन 
मन में खुश होता
पर चेहरे पर भाव
ना लाता
लोग क्रोधित होंगे
इस बात से डरता
क्रिया कर्म का सामान
बेचता
जितनी मौतें उतनी
बिक्री
सदा दिमाग में
रखता
बच्चा हो या बड़ा
फर्क ना पड़ता
भाई हो या बाप
गम ना होता
निरंतर
भण्डार भरा रखता
सामान कम ना पड़े
ध्यान रखता
मजबूरी में मौत से
पेट पालता
19-02-2011

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