Tuesday, February 22, 2011

कहाँ होंगे वो दिल से चाहने वाले


302—02-11

कहाँ होंगे
वो दिल से चाहने वाले
दुनिया
छोड़ गए साथ देने वाले
अश्क
मेरे हिस्से में छोड़ गए
खुद फरेबी दुनिया से
निजात पा गए
गुजरे दिनों को
याद कर
रश्क उनसे होता
धोखा
उनका बर्दाश्त ना होता
काश
में भी साथ चले जाता
महफ़िल में साथ होता
निरंतर
इस तरह ना रोता
उनके साथ  
हंसता साथ गाता
22-02-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

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