Thursday, February 17, 2011

दिल में रहते मगर नज़रों से अभी दूर हैं

268—02-11


पास रह कर
भी अभी दूर हैं
दिल में रहते
मगर नज़रों से अभी दूर हैं
ख्वाब में आते
मगर गुफ्तगू अभी दूर है
आवाज़ तो आती,
मगर चेहरा अभी दूर है 
दिल तो करता 
मगर दीदार अभी दूर है
ख़त रोज़ लिखता
मगर भेजना अभी दूर है
नगमे तो गाता
मगर सुनाना अभी दूर है  
मोहब्बत तो करता
मगर इज़हार अभी दूर है
निरंतर
इंतज़ार तो करता
मगर मिलना अभी दूर है
17-02-2011

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