Tuesday, February 22, 2011

मोहब्बत के दीवाने ,अब दुश्मन हो गए

इश्क
क्या  किया
रतजगे आखों के हुए
हम शहर में तमाशा
हो गए
हर निगाह का निशाना
बन गए
मकसद मिला नहीं
मुफ्त में बदनाम हुए
वफादार बेवफा हो गए
मोहब्बत के दीवाने अब
दुश्मन हो गए
हादसे जिन्दगी में अब
आम हो गए
निरंतर महफ़िल-ऐ-जान थे
अब रुखसत महफ़िल
से हुए
28-10-2010
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

1 comment:

Mithilesh dubey said...

बहुत ही उम्दा रचना , बधाई स्वीकार करें .
आइये हमारे साथ उत्तरप्रदेश ब्लॉगर्स असोसिएसन पर और अपनी आवाज़ को बुलंद करें .कृपया फालोवर बन उत्साह वर्धन कीजिये