Tuesday, February 15, 2011

कुछ अपनी कह दूं,कुछ तुम्हारी सुन लूं

256—02-11

कुछ
अपनी कह दूं
कुछ तुम्हारी सुन लूं
बात दिल की कर लूं
गीत मन के गा लूं
खूब हंस लूं, खूब रोलूँ
खूब नाच लूं ,
गले लग कर
सब से मिल लूं ,
दुःख सब के बाँट लूं
प्यार जगत में उंढेल दूं
जिस जहाँ में जाना है
क़ानून वहाँ का पता नहीं
हंसना होगा?रोना होगा?
निरंतर चुप रहना होगा
या खामोशी से सहना
होगा
क्यों ना ख्वाइश
ज़मीन पर पूरी कर लूं
जियूं जब तक
मन मर्जी जी लूं
15-02-2011

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