Friday, February 11, 2011

तुम नज़र आते तो, फूलों को कौन देखता

245—01-11


तुम 
नज़र आते तो,
फूलों को कौन देखता
तुम्हारे नूर से फूलों का
क्या मुकाबला
तुम्हारे होते बहारों को
कौन जानता 
हर मौसम में अहसास 
बसंत का होता
रंग हर फूल का फीका
लगता
तुम बोलते तो 
संगीत कौन सुनता
तुम हंसते
साज़ कौन सा सुर में
बजता
आँखों के आगे
मृग नैन झुकाता
चाल के आगे 
हिरनी का चलना
रुकता
जो निरंतर तुम्हें
देखता 
खुदा को कहाँ याद
करता
11-02-2011
 

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