Wednesday, February 16, 2011

माँ तो माँ होती ,संतान पर जीवन न्योछावर करती


 
262—02-11

माँ,
पुत्र से बिछड़ गयी,
विछोह से व्यथित हुयी
रोती बिलखती रह गयी
आंसू सूख गए रोते रोते
नाम लेते हुए होंठ कांपते  
निरंतर प्रार्थना परमात्मा से
करती
सूरत उसकी दिखा दे
फिर से उस से मिला दे
विछोह अब सहा ना जाता
मन मिलने को व्याकुल रहता
कहाँ होगा? कैसा होगा?
खाया होगा या भूखा होगा
प्रश्न मष्तिष्क को उद्वेलित करता
प्रार्थना उस की रक्षा की करती
ना सोती ना जागती
पेट की अग्नी
अनमने भाव से मिटाती
दिन रात चिंता में रहती
मर मर कर जीती
नाम पुत्र का ले जीवन
काटती
अपने खून से दूरी
माँ को कैसे खुश रख
सकती
दिल के टुकड़े के बिना
माँ कैसे रह सकती
माँ तो माँ होती
संतान पर जीवन
न्योछावर करती
16-02-2011

No comments: