Friday, February 18, 2011

ज़मीं पर खून निरंतर बह रहा,रंग रोज़ गहरा हो रहा

272—02-11

ज़मीं पर
खून निरंतर बह रहा
रंग रोज़ गहरा हो रहा
इंसानों की बस्ती में
मौत का मंजर अब
आम हो रहा
ज़िन्दगी काटना
मुश्किल हो रहा
मर मर कर जीना
ज़रूरी हो रहा
सोना अब दुश्वार
हो रहा
जागना मजबूरी
हो रहा
कब कातिल काम
अपना करेगा
पता लगाना नामुमकिन
हो गया
पैदा होने पर लोग
खुशी मनाते
अब  ज़िंदा रहने
के तरीके ढूंढते
नफरत के खंजर से
बचने के नुस्खे
पूंछते
18-02-2011

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