Thursday, February 10, 2011

वक़्त सब का गुजरता,रो कर या हंस कर गुजरता


वक़्त सब का
गुजरता
रो कर या हंस कर
गुजरता
दौर तकलीफ के
आते
इम्तहान हमारा
लेते
जो सब्र से काम लो
हिम्मत से सामना करो
वो भी गुजरता
आगाज़ नए सवेरे  का
होता
निरंतर उम्मीदें
देता
अब ठान लो
पैगाम सब को दो
खुश रहना है
जीवन बनाना है
इश्वर को मत भूलो 
खुद में विश्वाश रखो
24-11-2010

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