Saturday, October 1, 2011

खुदा की अजीब नियामत हो गयी

खुदा की अजीब
नियामत हो गयी 
अब ग़मों से
दोस्ती हो गयी
मेरी हसरतें ही
मेरी दुश्मन बन गयी
ज़िन्दगी की नाव
भँवर में फस गयी
खुशी अब ख्वाब
हो गयी
दुआ,हया बन गयी
निरंतर रोने का
सबब बन गयी
30-09-2011
1590-161-09-11

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