Tuesday, February 8, 2011

सीमाओं में बंधा,अपने में सिमटा

215--02-11



सीमाओं में बंधा
अपने में सिमटा
ना चंचलता ना चपलता
ना नदी सा बहता
ना समंदर सा उफनता
मनोभाव मन में रखता
चुप चाप रहता
निरंतर प्यास
लोगों की बुझाता
जीवित लोगों को रखता
सागर कहलाता
06-02-2011

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