Tuesday, February 8, 2011

ना मार खाता,ना भीख माँगता,अब लूट मार करता


199--02-11

वो करीब
आठ साल का
मैले कुचले,फटे पुराने,
कपडे पहने
दिन भर भीख माँगता
शाम को घर लौटता
बाप बेसब्री से इंतज़ार
करता
पैसे छीनता,शराबखाने
जाता
जल्दी  से कुछ घूँट
चढ़ाता
खाने को कुछ खरीदता
घर लौटता
थोड़ा बेटे को देता,
बाकी खुद खाता
बेटा और माँगता
गाली से स्वागत करता
एक थप्पड़ लगाता
सो जाता
बच्चा रोता रहता
थक जाता
आँख लगती फिर
सो जाता
सुबह बाप से पहले
उठता
भूखे पेट घर से
निकलता
दिन भर भीख माँगता
लोगों की गालियाँ सुनता
मार खाता
जो मिलता खा लेता
पैसे जेब में रखता
शाम को फिर घर
लौटता
"निरंतर"क्रम यही
चलता
धीरे धीरे समझने
लगता
अपराध की दुनिया में
कदम रखता
ना डरता,ना भूखा
रहता
ना मार खाता,ना भीख
माँगता
अब लूट मार करता
04-02-2011

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