Tuesday, February 8, 2011

सफ़र ज़िन्दगी का,शुरू बाबुल से होता,ख़त्म पिया संग होता

201--02-11

बाबुल
का घर छूट गया
बचपन पीछे रह गया
प्रीतम से मिलना हुआ
कैसा मुकाम ज़िन्दगी
में आया
दिल टुकड़ों में बट गया
एक मिल गया,
दूजा छूट गया
याद बाबुल की सताती
पीया संग भूल जाती
पीया बाहर जाते
व्याकुल हो जाती
कभी पीया,कभी बाबुल
निरंतर याद करती
ख़त बाबुल का मिलता
मन खुशी से पागल होता
पीया को कम भाता
कैसे समझाऊँ उन्हें ?
कैसे बताऊँ उन्हें ?
दिल दोनों जगह अटका
सफ़र ज़िन्दगी का
शुरू बाबुल से होता
ख़त्म पिया संग
होता
04-02-2011

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