Tuesday, February 8, 2011

निरंतर आसमान को देखता हूँ,उस में रहने वाले को ढूंढता हूँ

210--02-11

निरंतरआसमान को
देखता हूँ
उस में रहने वाले को
ढूंढता हूँ
दिख जाए तो सवाल
उस से पूछूं
क्यूं चेहरा इंसान से
छुपाता है?
क्या इंसान से डरता है?
उस की फितरत से
घबराता है?
उस की नफरत से
नफरत करता है?
सवाल का जवाब
देना होगा
फर्क इंसान और खुदा में
बताना होगा
सही रास्ता दिखाना
होगा
नहीं तो इक दिन
तुम्हें भी इंसान सा
जीना होगा
05-02-2011

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