Tuesday, February 8, 2011

मोहब्बत की किश्ती को,ज़रा आगे बढ़ा गए


181--02-11


मेरे पास से
नज़रें झुकाए निकल
गए
ना हाल मेरा पूछां
ना अपना बताया
खामोशी से आगे
बढ़ गए
फिर भी खुश हूँ
महक अपनी छोड़
गए
अहसास अपना करा
गए
हमेशा की तरह
उम्मीद छोड़ गए
निरंतर
डूबती हसरत को
मंज़र किनारे का
दिखा गए
मोहब्बत की किश्ती को
ज़रा आगे बढ़ा
गए
02-02-2011

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