197--02-11
अब वो
अकेला ना था
भीड़ से घिरा था
मूंज और बांस की
भीड़ से घिरा था
मूंज और बांस की
शय्या पर लेटा था
नयी चादर ओढ़े था
सबकी आँखों में
नयी चादर ओढ़े था
सबकी आँखों में
आंसू थे
उसके मरने पर शोक
उसके मरने पर शोक
जता रहे थे
वो एक भिखारी था
आज के पहले
वो एक भिखारी था
आज के पहले
अकेला था
"निरंतर "बीमार रहता
भीख माँगता पेट
"निरंतर "बीमार रहता
भीख माँगता पेट
पालता
किसी तरह जीवन
किसी तरह जीवन
काटता
ट्रक से कुचला गया
आज प्राणांत हुआ
दुखों का पटाक्षेप हुआ
ट्रक से कुचला गया
आज प्राणांत हुआ
दुखों का पटाक्षेप हुआ
अब वो अकेला
ना था
04-02-2011
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