Tuesday, February 8, 2011

अब वो अकेला ना था, भीड़ से घिरा था

197--02-11


अब वो
अकेला ना था
भीड़ से घिरा था
मूंज और बांस की
शय्या पर लेटा था
नयी चादर ओढ़े था
सबकी आँखों में
आंसू थे
उसके मरने पर शोक
जता रहे थे
वो एक भिखारी था
आज के पहले
अकेला था
"
निरंतर "बीमार रहता
भीख माँगता पेट
पालता
किसी तरह जीवन
काटता
ट्रक से कुचला गया
आज प्राणांत हुआ
दुखों का पटाक्षेप हुआ
अब वो अकेला
ना था
04-02-2011

No comments: