Wednesday, September 28, 2011

ना कोई सूरत भाती,ना कोई मुस्कान लुभाती

ना कोई सूरत
भाती
ना कोई मुस्कान
लुभाती
दिल में दहशत
मन में शक पैदा
करती
निरंतर लुटता रहा
बार बार सहता रहा
अब हिम्मत नहीं
करती
दिल को सुकून दे सके 
किश्ती को किनारे
पहुंचा सके
मांझी की
तलाश फिर भी
बंद न होती
 28-09-2011 
1580-151-,09-11

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