ना चाँद चाहिए
ना सितारे चाहिए
ना सूरज की रोशनी
चाहिए
नहीं चाहिए
चकाचोंध
जिसके पीछे
नफरत की आग
छुपी हो
खुद गरजी की
ख्वाईशें दबी हों
चाहिए प्यार से
जलाए
छोटे से दीपक की
रोशनी
जो मंद रोशनी से भी
दिल को रोशन करे
मन को सुकून दे
निरंतर ज़ज्बातों से
ना खेले
मुस्कारा के मिले
मुझे अपना समझे
26-09-2011
1562-133-09-11
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