सूने आकाश में
इक बदली आयी
कुछ बूँदें बरसायी
मन में आशाएं जगायी
दिल की आस बढ़ायी
हौले से आगे बढ़ गयी
आँखें
निरंतर तरसती रही
दिल को तडपाती रही
चुपचाप सहने के लिए
छोड़ गयी
इक बदली आयी
कुछ बूँदें बरसायी
मन में आशाएं जगायी
दिल की आस बढ़ायी
हौले से आगे बढ़ गयी
आँखें
निरंतर तरसती रही
दिल को तडपाती रही
चुपचाप सहने के लिए
छोड़ गयी
सूखी धरती सूखी
रह गयी
दुखी मन को संतुष्टी
नहीं मिल पायी
रह गयी
दुखी मन को संतुष्टी
नहीं मिल पायी
दिल की आस
पूरी ना हो पायी
25-09-2011
1556-127-09-11
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