Friday, September 9, 2011

दिल की तड़प आँखों की प्यास कभी पूरी नहीं होती

दिन  भर के
काम की परिणिति
थकान में होती
रात होते ही आँखें
नींद से बोझिल
होने लगती
बिस्तर पर लेटते ही
बंद हो जाती  
नींद की गोद में
समा जाती 
आहट भी ना होती
वो चली आती
नींद उड़ जाती
आँखें खुल जाती 
मुस्काराते हुए
वो लौट जाती
रात भर आँखें
खुली रहती 
ना वो ना नींद
फिर लौट कर आती
वो निरंतर
ऐसा ही करती
सपनों की दुनिया को
उजाडती
नींद पूरी नहीं होती  
दिल की तड़प
आँखों की प्यास
कभी पूरी नहीं होती 
09-09-2011
1473-45--09-11

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