Wednesday, September 28, 2011

उन्हें शौक-ऐ-मोहब्बत भी शौक-ऐ-इबादत भी

उन्हें
शौक-ऐ-मोहब्बत भी
शौक-ऐ-इबादत भी
निरंतर
दुआ खुदा से करते
हसरतें उनकी पूरी
कर दे
ख़्वाबों को हकीकत
बना दे 
आशिकों को इंतज़ार
कराते
जी भर के रुलाते
लम्हा लम्हा तड़पाते
इस ख्याल से जीते रहते 
खुदा तो
ज़न्नत में रहता
इल्तजा सुनता होगा
आँख से अंधा होगा
उनकी हरकतों को
देखता ना  होगा
28-09-2011
1579-150-,09-11

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