इंतज़ार में गुजर गयी
कल रात की
शुरुआत सवाल से होगी
जवाब की उम्मीद होगी
निरंतर
बहानेबाजी होगी
शिकवा शिकायत होगी
फिर रजामंदी होगी
रात गहरी हो जायेगी
नींद आने लगेगी
आँखें बंद होगी
सवाल,जवाब से
बात आगे नहीं बढ़ेगी
कहानी वहीँ अटक
जायेगी
रात यूँ ही गुजर
जायेगी
19-09-2011
1526-97-09-11
No comments:
Post a Comment