Sunday, September 18, 2011

आज की रात इंतज़ार में गुजर गयी

इंतज़ार में गुजर गयी
कल रात की
शुरुआत सवाल से होगी
जवाब की उम्मीद होगी
निरंतर
बहानेबाजी होगी
शिकवा शिकायत होगी 
फिर रजामंदी होगी
रात गहरी हो जायेगी
नींद आने लगेगी
आँखें बंद होगी 
सवाल,जवाब से
बात आगे नहीं बढ़ेगी
कहानी वहीँ अटक
जायेगी
रात यूँ ही गुजर
जायेगी   
19-09-2011
1526-97-09-11

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