करो कितनी भी
इल्तजा
बुलाने से लोग
नहीं आते
दिल में हो
गर मोहब्बत तो
अपने आप
खिचे चले आते
दूरियों से कभी
नहीं घबराते
दूर हो कर भी
दिल में
समा जाते
इरादा जहन में
अगर पाक हो
जिनसे पहले कभी
मिले नहीं
वो भी दिल को
लुभाते
चुपके से अपने
बन जाते
मोहब्बत में
साए भी लुभाते
निरंतर इंतज़ार
वो भी कराते
27-09-2011
1566-136709-11
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