Tuesday, September 27, 2011

मोहब्बत में साए भी लुभाते

करो कितनी भी
इल्तजा
बुलाने से  लोग 
नहीं  आते
दिल में हो
गर मोहब्बत तो
अपने आप
खिचे चले आते
दूरियों से कभी
नहीं घबराते
दूर हो कर भी
दिल में
समा जाते 
इरादा जहन में
अगर पाक हो
जिनसे पहले कभी
मिले नहीं
वो भी दिल को
लुभाते 
चुपके से अपने
बन जाते
मोहब्बत में
साए भी लुभाते
निरंतर इंतज़ार
वो भी कराते
27-09-2011
1566-136709-11

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