Tuesday, September 27, 2011

भीड़ से घिरा हूँ

भीड़ से घिरा हूँ
फिर भी अकेला हूँ 
साथ में हंसता हूँ 
अकेले में रोता हूँ
चुपचाप सहता हूँ
निरंतर खुशी का 
दिखावा करता हूँ 
वक़्त से लड़ता हूँ
ज़ुबां चुप रखता हूँ
लिख कर कहता हूँ
मन में खुश होता हूँ
कल के लिए खुद को
तैयार करता हूँ
सुबह फिर भीड़ से
घिरा होता हूँ 
27-09-2011
1574-1405-,09-11

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