भीड़ से घिरा हूँ
फिर भी अकेला हूँ
साथ में हंसता हूँ
अकेले में रोता हूँ
चुपचाप सहता हूँ
निरंतर खुशी का
दिखावा करता हूँ
वक़्त से लड़ता हूँ
ज़ुबां चुप रखता हूँ
लिख कर कहता हूँ
मन में खुश होता हूँ
कल के लिए खुद को
तैयार करता हूँ
सुबह फिर भीड़ से
घिरा होता हूँ
27-09-2011
1574-1405-,09-11
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