निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
कुछ लोग छिप कर मुस्काराते अकेले में याद करते ख़्वाबों में खोते हैं निरंतर खुद भी तड़पते चाहने वालों को भी तड़पाते किस बात से शरमाते ? क्यों इतना घबराते हैं ? ज़ज्बात को छिपाते कोई समझाए उन्हें क्यों दर्द-ऐ-दिल
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