Friday, September 23, 2011

कुछ लोग छिप कर मुस्काराते

कुछ लोग
छिप कर मुस्काराते
अकेले में याद करते
ख़्वाबों में खोते हैं
निरंतर खुद भी तड़पते
चाहने वालों को भी
तड़पाते
किस बात से शरमाते ?
क्यों इतना घबराते हैं ?
ज़ज्बात को छिपाते
कोई समझाए उन्हें
क्यों दर्द-ऐ-दिल
बढाते ?
23-09-2011
1549-120-09-11

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