हम उनके
हुस्न के कायल थे
उनके दीदार को
तरसते थे
दिल से उन्हें
चाहते थे
निरंतर बेचैनी से
इंतज़ार करते थे
वो नज़र आये भी
हमें देख कर
मुस्काराए भी
हम खुशी में
मदहोश हो गए
होश में आये तब तक
वो आगे बढ़ गए
अरमानों को अधूरा
रख गए
हम अकेले के अकेले
रह गए
10-09-2011
1479-51--09-11
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