Sunday, September 25, 2011

कोई मोहब्बत ना करे

आशिक ने दम तोड़ा
लोगों ने घर का
दरवाज़ा तोड़ा
लाश को बाहर निकाला
दाढी बड़ी हुयी थी  ,
सूरत पिचक गयी थी
आँखें गड्डे में धंस गयीं थी
निरंतर भूखे रहने से
जिस्म कंकाल हो गया था
कमरे में देखा तो
चंद सूखे हुए फूल
करीने से रखे थे
ढेर सारे खत कमरे में
बिखरे पड़े थे
हर दीवार पर माशूक का
नाम लिखा था
कमरा उसकी
तस्वीरों से भरा था
अंतिम इच्छा का
एक खत 
अलग से पडा था
उसमें लिखा था
सारे फूल ,
सारे खत,सारी तसवीरें
मेरे साथ दफ़न कर देना
मेरी मज़ार पर लिख देना
करे तो बेवफायी से ना डरे
अंजाम के लिए तैयार रहे
मेरी कब्र की बगल में
तुम्हारी भी कब्र बना लेना
मोहब्बत की कीमत
तुम भी चुका देना
25-09-2011
1554-125-09-11

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