Wednesday, September 14, 2011

मन मेरा चंचल बहुत कैसे इसे समझाऊँ ?

मन मेरा चंचल बहुत
कैसे इसे समझाऊँ ?
इच्छाएँ बहुत संजोता
स्वप्नलोक में खोता
कैसे वश में  करूँ ?
हर आशा पूरी नहीं होती
सत्य कैसे इसे बताऊँ ?
ना थकता ना रुकता
निरंतर चलता रहता
अविरल विचारों में बहता
समुद्र की लहरों सा
उफनता  
कैसे विराम लगाऊं ?
मन मेरा चंचल बहुत
कैसे इसे समझाऊँ ?
13-09-2011
1500-72-09-11

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