मन मेरा चंचल बहुत
कैसे इसे समझाऊँ ?
इच्छाएँ बहुत संजोता
स्वप्नलोक में खोता
कैसे वश में करूँ ?
हर आशा पूरी नहीं होती
सत्य कैसे इसे बताऊँ ?
ना थकता ना रुकता
निरंतर चलता रहता
अविरल विचारों में बहता
समुद्र की लहरों सा
उफनता
कैसे विराम लगाऊं ?
मन मेरा चंचल बहुत
कैसे इसे समझाऊँ ?
13-09-2011
1500-72-09-11
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