Tuesday, February 8, 2011

आज हंसना है,हंस लो मुझ पर


187--02-11


आज हंसना है
हंस लो मुझ पर
गुबार अपने
निकाल लो मुझ पर
मन में  नफरत
ना रखो
जो पल रहा अन्दर
उसे बाहर करो
फिर चैन से रहो
कल मेरा होगा
मुझे हंसना
लोगों को रोना होगा
वक़्त मेरा भी बदलेगा
सिलसला यूँ ही चलता
रहा है
यूँ ही चलता रहेगा
वक़्त हमेशा एक सा
ना रहता
आज तुम्हारा
कल किसी और का होगा
निरंतर पहिया वक़्त का
चलता रहता
03-02-2011

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