Tuesday, February 8, 2011

ज़मीन पर सोने वाले को,गद्दे की नरमी सता रही

188--02-11


ज़मीन पर
सोने वाले को
गद्दे की
नरमी सता रही
नींद नहीं आ रही
दिन भर लेटा रहा,
इधर उधर घूमता
रहा
काम कुछ करा नहीं
आराम की आदत
नहीं
ज़िन्दगी भर मेहनत
करी
थोड़े में गुजर बसर
करी
हराम की कभी खाई
नहीं
नींद फिर भी अच्छी
आती
निश्चिन्तता से रात
कटती
थकान मिटती
सुबह मन में संतुष्टी
होती
फिर काम में
जुटने की इच्छा होती
ज़िन्दगी खुशी में
कटती
कैसे लोग बिना
काम के रहते
जो "निरंतर"
बिना काम करे
जीना चाहते
आनंद जीवन का
कभी ले ना पाएँगे
हीन भावना से
ग्रसित होंगे
बाहर से खुश
अन्दर से दुखी होंगे
कभी ना कभी
कर्म ही जीवन है
समझ जायेंगे
03-02-2011


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