Thursday, February 23, 2012

क्षणिकाएं -14


मध्यस्थ
परमात्मा
और इंसान के
बीच पंडित मौलवी
क्या उसे वाकई ज़रुरत
किसी मध्यस्थ की
मज़ाक
लोग
मज़ाक करना
पसंद करते
सह नहीं सकते
मंजिल तक पहुंचना
मंजिल तक पहुंचना
आवश्यक
किस रास्ते से पहुचना
जानना भी आवश्यक
मनुष्य
मन
मनन
मानस
की लड़ी
निरंतर चलती रहती
मेहमान
आये तो भी सुहाए
जाए तो भी सुहाए
पूजा
दुष्कर्म करो
फिर पूजा करो
सज़ा से बचो
आज कल
आज कल
ना सुन सकते है
ना कह सकते है
बस चुप रह
सकते है
23-02-2012
229-140-02-12

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