Friday, February 10, 2012

कली खिल ना सकी

कली
खिल ना सकी
नियति के आगे
लाचार हो गयी
प्रभु इच्छा के सामने
एक ना चली
फूल बन कर
महकने की इच्छा
पूरी नहीं हुयी
सिसकते सिसकते
मुरझा गयी
हर इच्छा पूरी
नहीं होती
अंत तक समझ
नहीं सकी
10-02-2012
141-52-02-12

1 comment:

***Punam*** said...

prabhu ki iksha ke aage kisi ki nahin chalti....
achchhi rachna...