Monday, September 5, 2011

असमंजस के भँवर

असमंजस के भँवर
मन के समुद्र में
आते रहते
शब्द मगर
मुंह से नहीं निकलते
व्यथा किस से कहें
सोचते रहते
किस पर विश्वाश करें
सवालों से झूझते रहते
दर्द का बोझ
निरंतर ढोते रहते     
04-09-2011
1443-18-09-11

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