Sunday, September 4, 2011

छुप कर रोते है चुपचाप सहते है

कभी
जगमगाते सितारे थे
उनकी आँखों के
तारे थे
अब अमावस के
चाँद हैं
बादलों के पीछे
छुपे हैं
अन्धेरा मेरे साथ हैं
ना रोशनी दे सकते
ना उनको देख सकते
लाख दिल करे अब
उनके ना हो सकते
निरंतर
छुप कर रोते है
चुपचाप सहते है
04-09-2011
1441-16-09-11

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