ठोकर ना मारो
इस तरह नफरत
ना करो
कभी निरंतर
महकता था
भंवरों को लुभाता था
गुलशन की शान
बढाता था
वक़्त की मार से
झुलस गया है
वक़्त ने कब किसे
छोड़ा है
वक़्त तुम्हारा भी
बदलेगा
इक दिन तुम्हें भी
मुरझाना होगा
उस वक़्त का अहसास
कर लो
थोड़ी सी इज्ज़त
बक्श दो
थोड़ा सा प्यार दे दो
मिट्टी में दफना दो
01-09-2011
1430-05-09-11
1430-05-09-11
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