Tuesday, March 22, 2011

प्रेम का कोई मुहूर्त नहीं होता

प्रेम का
कोई मुहूर्त नहीं होता
ना कोई कारण ना
समय होता
प्रेम रस में डूबो
कुछ और अच्छा नहीं
लगता
प्रेम से ज्यादा आनंद
कहीं और नहीं मिलता
विरह का दुःख
किसी से  बर्दाश्त
नहीं होता
प्रेमियों का अंदाज़
बड़ा निराला होता
प्रेम,निरंतर प्रेम होता
कब किस से होगा पता
नहीं चलता
22-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
469—139-03-11

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