Friday, March 25, 2011

तुम सोचते ,हम परवाह ना करते


तुम सोचते
हम परवाह ना करते
ख्याल तुम्हारा कभी
ना रखते
ना कभी मिलते
ना पैगाम भेजते 
सिर्फ दिखाने को चाहते
दिल कहीं और लगाते
कैसे बताएं 
जुदाई हम भी सहते
मुश्किल से बर्दाश्त
करते
निरंतर खुदा से दुआ
करते
बदनाम ना हो जाओ
इस लिए खामोश
रहते
अन्दर ही अन्दर रोते
रहते
25-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
508—178-03-11

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