Thursday, March 24, 2011

वक़्त का तकाजा देखिए



वक़्त का
तकाजा देखिए
प्यार का अकाल पड़ रहा

विज्ञान उम्र इंसान की
बढाता
जान लाखों की लेता
टीवी हाल दुनिया का
दिखाता
जुर्म के नए तरीके
सिखाता
पहले हम होता था
अब मैं हो गया
पहले घर होता था
अब घर हो गए
एक घर के दस हो गए
निरंतर विकास हो रहा
नदी नाले सूख रहे
पेड़ पंछी ऊंगलियों पर
गिने जा रहे
शेर अब चिड़िया घर में
रहता
तेंदुआ रुख शहर का
करता
जंगल में घर बस गए
पहाड़ अब मैदान बन गए
एक देश में कई राज्य
हो गए
दुनिया में देश बढ़ गए
बेटे बाप हो गए,
ज्यादा समझदार हो गए
बाप नासमझ रह गए
निरंतर हम आगे बढ़ रहे
विकास के नए आयाम
स्थापित कर रहे
24-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
490—160-03-11

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