Tuesday, March 29, 2011

वर्तमान


मन में
दुखी हो रहा था
हालात  पर
चिंतन कर रहा था
तभी मित्र वर्तमान का
आना हुआ
आते ही परेशानी का
कारण पूछा
मैंने उन्हें बड़े भाई
सज्जन जी के बारे में
बताया
उनकी ख़ूबियों का
वर्णन किया
इमानदारी और सज्जनता के
किस्से सुनाए
अफसर उन से खुश नहीं
तरक्की भी कभी मिली नहीं
इस बात से व्यथित हूँ
मित्र बोला भाई निरंतर
आज कल कौन
इमानदारी और सज्जनता को
महत्त्व देता
वर्तमान में रहने को कहो
भ्रष्ट बनने को कहो
अफसर भी खुश होंगे
जेब नोट से भरेगी
तरक्की भी मिलेगी
प्रारम्भ में मन को
तकलीफ होगी
बाद में आदत
पड़ जायेगी  
29-03-03
538—208-03-11

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