मन में
दुखी हो रहा था
हालात पर
चिंतन कर रहा था
तभी मित्र “वर्तमान” का
आना हुआ
आते ही परेशानी का
कारण पूछा
मैंने उन्हें बड़े भाई
सज्जन जी के बारे में
बताया
उनकी ख़ूबियों का
वर्णन किया
इमानदारी और सज्जनता के
किस्से सुनाए
अफसर उन से खुश नहीं
तरक्की भी कभी मिली नहीं
इस बात से व्यथित हूँ
मित्र बोला भाई निरंतर
आज कल कौन
इमानदारी और सज्जनता को
महत्त्व देता
वर्तमान में रहने को कहो
भ्रष्ट बनने को कहो
अफसर भी खुश होंगे
जेब नोट से भरेगी
तरक्की भी मिलेगी
प्रारम्भ में मन को
तकलीफ होगी
बाद में आदत
पड़ जायेगी
29-03-03
538—208-03-11
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