हर हंसी में
खनक नहीं होती
हर चेहरे की रौनक
सच नहीं होती
हर सूरत,जैसी दिखती
हकीकत में वैसी नहीं होती
मजबूरी हर किसी की
चेहरे पर नहीं झलकती
दिल का दर्द
सब का बाहर ना आता
कोई खुल कर रोता
कोई चुपचाप सहता
मुसकराते चेहरों का सच
किसी को पता ना होता
कौन ग़मों को निरंतर
अन्दर समाये बैठा
कौन हकीकत में खुश
कहाँ पता पड़ता
26-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
515—185-03-11
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