Wednesday, March 30, 2011

दिल करे तो जवाब दे दें ,नहीं तो सपने में आ कर बता दें


क्यूं ख़त का 
जवाब उन्होंने अब तक
दिया नहीं
या तो ख़त मिला नहीं
या मतलब समझा नहीं
या तो नाराज़ हो गए
शक से देखने लगे
या फिर वक़्त मिला नहीं
 निरंतर क्यां लिखूं ?
क्या ना लिखूं ?
के चक्कर में फँस गए
या कैसे लिखूं
के सोच में पड़ गए
कौन उन्हें समझाए

दिल करे तो जवाब
दे दें
नहीं तो सपने में
आ कर बता दें
30-03-03
554—224-03-11

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